Tuesday, November 25, 2008

कशिश !!

फ़िर क्यूँ शाम से सहम रहा है वो,
फ़िर क्यूँ रात भर सोया नहीं है वो,
आख़िर क्या पिघल रहा है उसकी आंखों में,
क्यूँ जलते अंगारे निगल रहा है वो!!

चहुँ ओर से फ़िर क्यूँ आ रही है आवाजें,
हर आहट पर क्यूँ निबट रही है सासें,
आख़िर क्या लिखा है उसके सितारों में,
कि सिमट गई उसकी जमीन, और थम गया वो!!

Shall complete tonight...

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