Monday, February 29, 2016

आज चाय में फिर चीनी नहीं है


आज चाय में फिर चीनी नहीं है ,
उफ़, ये दिन फिर से वहीं है।
उड़ कर आ जाता है रोज़ ये दिन,
रात भर सोता नहीं तारे गिन गिन।

आज चाय में फिर चीनी नहीं है ,
अहा, थिरकती रही उम्मीद, थमी नहीं है।
बारिशों में भीगी, भाग कर आई
गोदी में मेरी सिमट, ऐसे ही सोयी।

आज चाय में फिर चीनी नहीं है ,
हश्श, मेले में रोशनी कहीं कहीं है।
छन छन के आती रही चाँदनी ,
शहर आज गर्म नहीं है।

आज चाय में चीनी सही है ,
उंह, ये मीठी फिर भी नहीं है।
उठ रही है भाप बहुत देर से,
चाय अब ठंडी नहीं है।

Tuesday, February 09, 2016

कृष्ण-संयोग


दौड़ता भागता रहा कँहा जा रहा है,
वो देख तेरा कृष्ण यहीं आ रहा है।।

अकेला समझ खुद को क्यों चला जा रहा है
सुन तो सही, तेरा कृष्ण पुकार रहा है।

रुका है किसके लिए इतनी देर से धूप में
दरख़्त के नीचे देख,  तेरा कृष्ण पानी लिए खड़ा है

संयोग 

to be continued

Thursday, February 04, 2016

किसी राह में, किसी मोड़ पर


किसी राह में, किसी मोड़ पर
कही चल ना देना तू छोड़कर, मेरे हमसफ़र, मेरे हमसफ़र

किसी हाल में, किसी बात पर
कही चल ना देना तू छोड़कर, मेरे हमसफ़र, मेरे हमसफ़र

मेरा दिल कहे कहीं ये ना हो, नहीं ये ना हो, नहीं ये ना हो
किसी रोज तुझ से बिछड़ के मैं, तुझे ढूँढती फिरू दरबदर

तेरा रंग साया बहार का, तेरा रूप आईना प्यार का
तुझे आ नज़र में छुपा लू मैं, तुझे लग ना जाये कहीं नज़र

तेरा साथ है तो है जिंदगी, तेरा प्यार है तो है रोशनी
कहाँ दिन ये ढल जाये क्या पता, कहाँ रात हो जाये क्या खबर

~ मेरे हमसफ़र - 1970