Tuesday, February 09, 2016

कृष्ण-संयोग


दौड़ता भागता रहा कँहा जा रहा है,
वो देख तेरा कृष्ण यहीं आ रहा है।।

अकेला समझ खुद को क्यों चला जा रहा है
सुन तो सही, तेरा कृष्ण पुकार रहा है।

रुका है किसके लिए इतनी देर से धूप में
दरख़्त के नीचे देख,  तेरा कृष्ण पानी लिए खड़ा है

संयोग 

to be continued

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