Saturday, August 19, 2017

जब भी उठे ढेर से सवाल

जब भी उठे ढेर से सवाल |
आस पास हो खड़े बवाल पर बवाल ||
हो जायो खुद भी खड़े |
और मचायो भोकाल पर भोकाल ||

गर न पूछे कोई हाल या चाल  |
चुके हो कितने भी बेहाल ||
हो जायो फिर खड़े |
फिर मचायो  धमाल पर धमाल ||

 

Monday, July 03, 2017

अच्छा है अच्छा है जब तक ये बच्चा है

बच्चा  है बचपन है, बचपन का बचपना है
सच्चा है सज्जन है, सज्जन  का इम्तेहान है  |

आता है जाता है , कुछ कुछ गुन गुनाता है
मुझसे भी चलने को रोज़ ये कहता है |

तितलियों के पीछे नाहक ही भगाता है
गोदी में सर रख रोज़ ही सो जाता है  |

अच्छा है अच्छा है जब तक ये बच्चा है
सच्चा है सच्चा है मेरा ये अपना है |

Thursday, June 01, 2017

और इस पल में कोई नहीं है - बस एक मैं हूँ और एक तुम हो ||

और इस पल में कोई नहीं है - बस एक मैं हूँ और एक तुम हो || 

जाने किधर गए सारे के सारे
यहाँ रह गए बस हम दो बेचारे ||


Sunday, May 21, 2017

चलो कृष्ण अब चलो कृष्ण

बहुत देर से रुके हुए हो 
चलो कृष्ण आज चलते हैं |

बहुत कह लिया बेगानों से 
चलो कृष्ण आज अपनों को सुनते हैं | 

बहुत रह लिए किराये के घोंसलों में
चलो कृष्ण आज दिल ढूँढ़ते हैं |

बहुत शोर है यहाँ सब तरफ़ 
चलो कृष्ण आज अपने गीत गुनगुनाते हैं | 

बहुत उम्मीद से लोग नाम लेते हैं
चलो कृष्ण आज लिख ही देते हैं |

बहुत बहुत हो लिया 
चलो कृष्ण अब चलो कृष्ण !!!!

Sunday, January 01, 2017

पापा, ये जूता बहुत काटता है

पापा, ये जूता बहुत काटता है
सुबह शाम, सोते जागते, हर समय
ये जूता बहुत काटता है ।

जाने कब, कंहा ये जूता मैंने पहना था,
चाह कर भी उतार नहीं पाता हूँ,
पापा, ये जूता बहुत काटता है ।

मुझसे कहा था, "तू बड़ा है ।", इसलिए पहनना होगा ये जूता,
मोज़ो पर मोज़े चढ़ाये मैंने, पर फिर भी,
पापा ये जूता बहुत काटता है ।

to be continued....