जब मिले न कुछ, पढ़ने के क़ाबिल,
तो कुछ अपना लिखना,
तो कुछ अपना लिखना,
जब मिले न वास्तव में, कोई पास अपना,
तो कोई सपना लिखना,
न दैन्यं न पलायनम, कह कर भी मन न माने
तो कृष्ण की सुनना,
जब सूझे न हाथ को हाथ, अंतर्मन को कर शांत,
तो कोई सपना लिखना,
न दैन्यं न पलायनम, कह कर भी मन न माने
तो कृष्ण की सुनना,
जब सूझे न हाथ को हाथ, अंतर्मन को कर शांत,
पुकारना एक बार, कृष्ण दिखेगा तुझे, अपने आस पास,
जब मिले न कुछ, पढ़ने के क़ाबिल,
तो कुछ अपना लिखना ||
जब मिले न कुछ, पढ़ने के क़ाबिल,
तो कुछ अपना लिखना ||
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