शब्दों से शब्द कहते हैं
तुम्हारे बिना हम अधूरे हैं..
अब किसी और रोज़ सुनेंगे तारीफें किसी और की
आज तो नश्तरों से नश्तर तेज़ कर बैठे हैं।
अनसुनी न रहे कोई दुआ तेरी,
खुदा के साथ सवेरे से पैमाना लिए बैठे हैं।
अब बहुत हुआ ए परवरदिगार इंतज़ार तेरा,
ईंटों को सिरहाने से हम लगा बैठे हैं।
तुम्हारे बिना हम अधूरे हैं..
अब किसी और रोज़ सुनेंगे तारीफें किसी और की
आज तो नश्तरों से नश्तर तेज़ कर बैठे हैं।
अनसुनी न रहे कोई दुआ तेरी,
खुदा के साथ सवेरे से पैमाना लिए बैठे हैं।
अब बहुत हुआ ए परवरदिगार इंतज़ार तेरा,
ईंटों को सिरहाने से हम लगा बैठे हैं।
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