Tuesday, July 19, 2016

अनकही

शब्दों से शब्द कहते हैं
तुम्हारे बिना हम अधूरे हैं..

अब किसी और रोज़ सुनेंगे तारीफें किसी और की
आज तो नश्तरों से नश्तर तेज़ कर बैठे हैं।

अनसुनी न रहे कोई दुआ तेरी,
खुदा के साथ सवेरे से पैमाना लिए बैठे हैं।

अब बहुत हुआ ए परवरदिगार इंतज़ार तेरा,
ईंटों को सिरहाने से हम लगा बैठे हैं।

Tuesday, July 05, 2016

तो कुछ अपना लिखना

जब मिले न कुछ, पढ़ने के क़ाबिल,
तो कुछ अपना लिखना,

जब मिले न वास्तव में, कोई पास अपना,
तो कोई सपना लिखना,

न दैन्यं न पलायनम, कह कर भी मन न माने
तो कृष्ण की सुनना,

जब सूझे न हाथ को हाथ, अंतर्मन को कर शांत, 
पुकारना एक बार, कृष्ण दिखेगा तुझे, अपने आस पास,

जब मिले न कुछ, पढ़ने के क़ाबिल,
तो कुछ अपना लिखना ||