Friday, March 20, 2009

कुछ सवा सेर....

फानूस बनके हिफाज़त जिसकी हवा करे
उसका कोई क्या करे जिसकी मदद खुदा करे

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पत्ता पत्ता बूटा बूटा हाल हमारे जाने है
जाने न जाने बस तू ही न जाने, संसार तो सारा जाने है

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बरबाद-ऐ-गुलिस्तान करने को बस एक ही उल्लू काफ़ी है
हर शाख पर उल्लू बैठा है, अंजाम-ऐ-गुलिस्तान क्या होगा

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