प्रथम प्रहर प्रश्न प्रस्तुत करता है,
कौन है वो, किसके साथ अंक शयन करते हो ?
प्रथम प्रहर पुरुष प्रमाण देता है
सखी है, संगिनी मेरी, उसी के साथ अंक शयन करता हूँ ।।
द्वितीय द्वार दर्प से द्वंद करता है,
स्वर्ण को त्याग, किसको आलिंगन करते हो ?
द्वितीय द्वार पर द्रव्य दर्शन देता है,
अभिसारिका मेरी, असीमित प्रेम से आलिंगन करता हूँ ।।
तृतीय तर्क तृष्णा से तुष्ट होता है
विनम्र हो क्यों तिरस्कृत होते हो ?
तृतीय तर्क तीक्ष्ण तान देता है
अक्षम्य को क्षमा कर मंथन करता हूँ ॥
चतुर्थ चर्म चौसर पर चिहुँकता है
धर्म को धारण कर, किसके लिए दाँव लगाते हो ?
चतुर्थ चर्म चहुँ ओर व्याप्त होता है
कर्महीन कर्म को सत्यापित करता हूँ ॥
पंचम पर्व पार्थ पर प्रकट होता है
क्यों भ्रम से भ्रमित भ्रमण करते हो ?
पंचम पर्व प्रभुत्व स्वीकार करता है
विश्वास कर विश्व का वहन करता हूँ ||
कौन है वो, किसके साथ अंक शयन करते हो ?
प्रथम प्रहर पुरुष प्रमाण देता है
सखी है, संगिनी मेरी, उसी के साथ अंक शयन करता हूँ ।।
द्वितीय द्वार दर्प से द्वंद करता है,
स्वर्ण को त्याग, किसको आलिंगन करते हो ?
द्वितीय द्वार पर द्रव्य दर्शन देता है,
अभिसारिका मेरी, असीमित प्रेम से आलिंगन करता हूँ ।।
तृतीय तर्क तृष्णा से तुष्ट होता है
विनम्र हो क्यों तिरस्कृत होते हो ?
तृतीय तर्क तीक्ष्ण तान देता है
अक्षम्य को क्षमा कर मंथन करता हूँ ॥
चतुर्थ चर्म चौसर पर चिहुँकता है
धर्म को धारण कर, किसके लिए दाँव लगाते हो ?
चतुर्थ चर्म चहुँ ओर व्याप्त होता है
कर्महीन कर्म को सत्यापित करता हूँ ॥
पंचम पर्व पार्थ पर प्रकट होता है
क्यों भ्रम से भ्रमित भ्रमण करते हो ?
पंचम पर्व प्रभुत्व स्वीकार करता है
विश्वास कर विश्व का वहन करता हूँ ||
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